मंगलवार, 17 जून 2014

पहाड़ों के बीच से बनाया रास्ता

किसी ने सच ही कहा है कि कौन कहता है कि आसमां में सूराख नहीं हो सकता...एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों..
ऐसी ही एक मिसाल पेश की..मध्य प्रदेश के दक्षिण पश्चिम में स्थित बड़वानी के गुमडिया खुर्द के गांववालों ने।
यहां मौजूद पहाड़ियों के बीच कई गांव पड़ते थे, कुछ वक्त पहले तक यहां न तो कोई रास्ता था और न ही आने-जाने का कोई दूसरा जरिया. इधर-उधर बनी पगड़डियों को सहारे लोग आया जाया करते थे।  
लेकिन इस गांव में ज्ञान सिंह नाम के एक शख्स के साथ हुई घटना ने इलाके की तस्वीर ही बदल डाली। ज्ञान सिंह ने कुदाल उठाई और खुद जुट गए अपना रास्सता बनाने। इसके बाद लोग जुड़ते चले गये और पहाड़ों के बीच से निकल आया रास्ता। दरअसल तीन साल पहले खेत में काम कर रहे ज्ञान सिंह को बैल ने घायल कर दिया है, घायल ज्ञान सिंह को कपड़े की डौली बनाकर लोग अस्पताल ले गये। ठीक होने के बाद ज्ञान सिंह के मन में ये घटना घर कर गई कि लोग न होते तो वह खेत से अस्पताल कैसे पहुंचता। इसी घटना ने ज्ञान सिंह को पहाड़ी के बीच रास्ता बनाने की शुरूआत दी। शुरूआत में स्थानीय लोगों का मानना था कि यहां रास्ता बनाना बेहद मुश्किल है, लेकिन ज्ञान सिंह के हौसले को देखकर लोग इससे जुडने लगे। ग्रामीणों ने इस पहाड़ी के बीच लगभग तीन साल में तीन किलोमीटर पहाड़ी रास्ता बना डाली। ग्रामीणों ने प्रशासन से कई बार अर्जी लगाई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। लेकिन अब गांववालों की खुद की पहल से तस्वीर बदली हुई है। जहां पहले पैदल जाने का रास्ता नहीं था वहां अब ट्रैक्टर और टैंकर चलते हैं। ये कहानी दिखाती है कि बदलाव खुद लाना होगा और इसके लिए एक छोटी सी पहल भी बड़ा परिणाम दे सकती है।